जिस प्रकार केंद्र में राहुल तो क्या भाजपा राज्य में हरीश रावत को कमजोर आंकती है?
हर सत्ताधारी चाहता है कि सामने उसके कमजोर विपक्ष हो, इसलिए वो ऐसे कमजोर विपक्ष को हमेशा जिंदा रखना चाहता है।
ये जिस प्रकार देश की राजनीति में हो रहा है वही राज्य की राजनीति में भी जोर पकड़ गया है। यहां 2017 विधानसभा में दो सीटों और 2019 में सांसद का चुनाव हारने वाले हरीश रावत भाजपा के लिए कहीं राहुल की तरह कमजोर विपक्ष तो नहीं बन गए हैं।
तभी उनके हर उठाये सवाल का जवाब देने भाजपाई हमेशा तैयार नजर आते हैं। अब भाजपा के इस राजनैतिक गेम को कांग्रेस कब समझेगी ये तो राहुल गांधी ही बताएंगे।